कर्म करो फल की चिन्ता नही
एक बार एक व्यक्ति अपने मोटरसाइकिल से अपने काम पर जा रहा था तभी कुछ दूर जाने के बाद उसे सड़क के किनारे पर एक बूढ़ी औरत पैदल चलते हुए दिखाई दी साथ में कुछ सामान भी पकड़ी हुई थी जिसके कारण वह बूढ़ी औरत बहुत ही थकी हुई सी लग रही थी और उसके चेहरे देख ऐसा लग रहा था मानो वह सड़क किनारे वह बहुत समय से किसी यातायात साधन का इंतजार कर रही हैं।
जो उसे जहा जाना चाहती है वहाँ पहुँचाने में मदद कर दे,फिर उस बूढ़ी औरत को ऐसे देख कर उस व्यक्ति ने अपना मोटरसाइकिल उस बूढ़ी औरत के पास लाकर रोका और बूढ़ी औरत से पूछा
"माताजी आप अकेली हाथो में सामान रखे पैदल कहा जा रही हैं आप बहुत थकी हुई लग रही है,आपको कहा जाना है? आपको जहाँ भी जाना है, मैं आपको छोड़ दूँगा।
लेकिन अजनबी आदमी को ऐसे अचानक अपने सामने देख कर बूढ़ी औरत थोड़ा घबरा गई, बूढ़ी औरत को ऐसे देख कर उनकी घबराहट को वह व्यक्ति समझ गया और फिर मुस्कुराते हुए कहा
"माताजी मेरा नाम आनन्द है,मैं हर रोज यहाँ से गुजरता हु,अपने काम के लिए, आप चिन्ता ना करें मैं आपको सकुशल आपके घर तक छोड़ दूँगा,आप निश्चिन्त होकर मेरे साथ मेरे गाड़ी पर चलिए। इस व्यक्ति की बाते सुनकर बूढ़ी औरत को तसल्ली हुई और साथ आने की सहमति देते हुए गाड़ी पर बैठ गई।थोड़ी दूर आगे जाने के बाद बूढ़ी औरत ने पूछा तुम कितने रुपये लोगे मुझे घर तक छोड़ने का?
आनन्द ने हँसते हुए कहा "माताजी मुझे कुछ नहीं चाहिए, किन्तु फिर भी आप कुछ देना ही चाहती है तो बस आप भविष्य में जब भी आपको मौका मिले तो अपनी तरफ से किसी जरूरतमंद की किसी भी तरह से मदद कर देना।इस व्यक्ति की बाते सुनकर बूढ़ी औरत बहुत प्रसन्न हुई और बोली जरूर बेटा करके अपनी बातें पूरी करके आनंद ने बूढ़ी औरत को उनके घर पर छोड़ा।और छोड़ने के पश्चात वह वहाँ से चला गया।
कुछ दिनों बाद वह बूढ़ी औरत कुछ सामान खरीदने के लिए अपने गाँव के एक दुकान पर गई दुकान से सामान खरीदने के बाद जब वह वापस आती है तो देखती है कि उस किराना दुकान के आगे एक गर्भवती महिला ठेले में फल बेच रही थी, उस बूढ़ी महिला को यह समझते देर नही लगी कि जरूर इस लड़की की कोई बड़ी मजबूरी होगी जो इसे इस अवस्था में भी काम करना पड़ रहा है।
बूढ़ी औरत को उस गर्भवती महिला को देखकर बुरा लगा और फिर आनंद की कही हुई बात याद आती है कि जब आपको मौका मिले तो जरूर किसी जरूरतमंद की मदद करना करके।
फिर उस बूढ़ी औरत के मन मे उस गर्भवती महिला की मदद करने की इच्छा जागृत हुई,बूढ़ी औरत सामान खरीद चुकी थी फिर भी उसके पास से कुछ खाने के लिए फल खरीद लिया साथ ही महिला ने चुपके से कुछ पैसे उसके दुकान के पास इस भावना से रख दिए कि उसकी कुछ मदद हो जाएगी।ऐसा करने के बाद वह बूढ़ी औरत वहाँ से तुरंत अपने घर की तरफ चली गई।फिर जब वह गर्भवती महिला शाम को अपने दुकान बंद करते समय उस गर्भवती महिला ने देखा कि उसके ठेले में फल के नीचे 500 का नोट रखा हुआ था।गर्भवती महिला ने उस 500 के नोट को देख कर बहुत ही खुश हो गई।
और घर जाकर अपने पति से कहती है कि मैं जानती हूं कि मेरे गर्भवती होने के कारण से घर का खर्चा थोड़ा बढ़ गया है,लेकिन आज तुम्हे चिंता करने की जरूरत नहीं है क्यूंकि मेरी दवाई का इंतजाम हो गया है, मैंने आज दुकान में थोड़े ज्यादा पैसे कमाए है,ऐसा कह कर उस गर्भवती महिला ने भगवान का शुक्रिया किया।
दोस्तों यह सच है कि हम जब भी किसी की निस्वार्थ भाव से सहायता करते है तो हमारा द्वारा किया हुआ अच्छा काम जिंदगी में कभी ना कभी किसी ना किसी रूप में वापस आता जरूर है वो भी कई गुणा होकर। इसलिए आपको कभी भी किसी की मदद करने का मौका मिले तो जरूर करें, जब भी किसी की मदद करो तो दिल से करो, कभी भी मन में फल की आशा ना रखो, बिना फल की चाह से किया हुआ कर्म हमे मोक्ष देता है।
कर्म करो फल की चिंता मत करो बस कर्म में अच्छाई और वचन में सच्चाई को अपना लीजिए आपका भला अपने आप हो जाएगा। उम्मीद करता हु दोस्तों इस मोटिवेशनल कहानी से आपको प्रेरणा मिली होगी यदि अच्छी लगी होगी तो कमेन्ट करके अपनी सुझाव दीजिये और शेयर जरूर करें।
एक बार एक व्यक्ति अपने मोटरसाइकिल से अपने काम पर जा रहा था तभी कुछ दूर जाने के बाद उसे सड़क के किनारे पर एक बूढ़ी औरत पैदल चलते हुए दिखाई दी साथ में कुछ सामान भी पकड़ी हुई थी जिसके कारण वह बूढ़ी औरत बहुत ही थकी हुई सी लग रही थी और उसके चेहरे देख ऐसा लग रहा था मानो वह सड़क किनारे वह बहुत समय से किसी यातायात साधन का इंतजार कर रही हैं।
जो उसे जहा जाना चाहती है वहाँ पहुँचाने में मदद कर दे,फिर उस बूढ़ी औरत को ऐसे देख कर उस व्यक्ति ने अपना मोटरसाइकिल उस बूढ़ी औरत के पास लाकर रोका और बूढ़ी औरत से पूछा
बूढ़ी औरत |
"माताजी आप अकेली हाथो में सामान रखे पैदल कहा जा रही हैं आप बहुत थकी हुई लग रही है,आपको कहा जाना है? आपको जहाँ भी जाना है, मैं आपको छोड़ दूँगा।
लेकिन अजनबी आदमी को ऐसे अचानक अपने सामने देख कर बूढ़ी औरत थोड़ा घबरा गई, बूढ़ी औरत को ऐसे देख कर उनकी घबराहट को वह व्यक्ति समझ गया और फिर मुस्कुराते हुए कहा
"माताजी मेरा नाम आनन्द है,मैं हर रोज यहाँ से गुजरता हु,अपने काम के लिए, आप चिन्ता ना करें मैं आपको सकुशल आपके घर तक छोड़ दूँगा,आप निश्चिन्त होकर मेरे साथ मेरे गाड़ी पर चलिए। इस व्यक्ति की बाते सुनकर बूढ़ी औरत को तसल्ली हुई और साथ आने की सहमति देते हुए गाड़ी पर बैठ गई।थोड़ी दूर आगे जाने के बाद बूढ़ी औरत ने पूछा तुम कितने रुपये लोगे मुझे घर तक छोड़ने का?
आनन्द ने हँसते हुए कहा "माताजी मुझे कुछ नहीं चाहिए, किन्तु फिर भी आप कुछ देना ही चाहती है तो बस आप भविष्य में जब भी आपको मौका मिले तो अपनी तरफ से किसी जरूरतमंद की किसी भी तरह से मदद कर देना।इस व्यक्ति की बाते सुनकर बूढ़ी औरत बहुत प्रसन्न हुई और बोली जरूर बेटा करके अपनी बातें पूरी करके आनंद ने बूढ़ी औरत को उनके घर पर छोड़ा।और छोड़ने के पश्चात वह वहाँ से चला गया।
कुछ दिनों बाद वह बूढ़ी औरत कुछ सामान खरीदने के लिए अपने गाँव के एक दुकान पर गई दुकान से सामान खरीदने के बाद जब वह वापस आती है तो देखती है कि उस किराना दुकान के आगे एक गर्भवती महिला ठेले में फल बेच रही थी, उस बूढ़ी महिला को यह समझते देर नही लगी कि जरूर इस लड़की की कोई बड़ी मजबूरी होगी जो इसे इस अवस्था में भी काम करना पड़ रहा है।
गर्भवती महिला |
बूढ़ी औरत को उस गर्भवती महिला को देखकर बुरा लगा और फिर आनंद की कही हुई बात याद आती है कि जब आपको मौका मिले तो जरूर किसी जरूरतमंद की मदद करना करके।
फिर उस बूढ़ी औरत के मन मे उस गर्भवती महिला की मदद करने की इच्छा जागृत हुई,बूढ़ी औरत सामान खरीद चुकी थी फिर भी उसके पास से कुछ खाने के लिए फल खरीद लिया साथ ही महिला ने चुपके से कुछ पैसे उसके दुकान के पास इस भावना से रख दिए कि उसकी कुछ मदद हो जाएगी।ऐसा करने के बाद वह बूढ़ी औरत वहाँ से तुरंत अपने घर की तरफ चली गई।फिर जब वह गर्भवती महिला शाम को अपने दुकान बंद करते समय उस गर्भवती महिला ने देखा कि उसके ठेले में फल के नीचे 500 का नोट रखा हुआ था।गर्भवती महिला ने उस 500 के नोट को देख कर बहुत ही खुश हो गई।
पति, पत्नी |
और घर जाकर अपने पति से कहती है कि मैं जानती हूं कि मेरे गर्भवती होने के कारण से घर का खर्चा थोड़ा बढ़ गया है,लेकिन आज तुम्हे चिंता करने की जरूरत नहीं है क्यूंकि मेरी दवाई का इंतजाम हो गया है, मैंने आज दुकान में थोड़े ज्यादा पैसे कमाए है,ऐसा कह कर उस गर्भवती महिला ने भगवान का शुक्रिया किया।
दोस्तों यह सच है कि हम जब भी किसी की निस्वार्थ भाव से सहायता करते है तो हमारा द्वारा किया हुआ अच्छा काम जिंदगी में कभी ना कभी किसी ना किसी रूप में वापस आता जरूर है वो भी कई गुणा होकर। इसलिए आपको कभी भी किसी की मदद करने का मौका मिले तो जरूर करें, जब भी किसी की मदद करो तो दिल से करो, कभी भी मन में फल की आशा ना रखो, बिना फल की चाह से किया हुआ कर्म हमे मोक्ष देता है।
कर्म करो फल की चिंता मत करो बस कर्म में अच्छाई और वचन में सच्चाई को अपना लीजिए आपका भला अपने आप हो जाएगा। उम्मीद करता हु दोस्तों इस मोटिवेशनल कहानी से आपको प्रेरणा मिली होगी यदि अच्छी लगी होगी तो कमेन्ट करके अपनी सुझाव दीजिये और शेयर जरूर करें।
Bahut badhiya
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