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शुक्रवार, 29 मई 2020

एक मकड़ी से सीख(Learn from a spider)


एक मकड़ी से सीख(Learn from a spider)

दोस्तों कई बार हम किसी चीज को बार बार पाने की कोशिश करते है और किसी कारण से हम उस चीज तक पहुंच नहीं पाते तो एक निश्चित समय के बाद ऐसा लगने लगता है की,

 मै अब इस चीज को नहीं प्राप्त कर सकता दोस्तों अधिकतर हमारे साथ यह होता है,दोस्तों आज की इस छोटी सी कहानी में मकड़ी से प्रेरित होकर सफलता को प्राप्त करने की कहानी है।

 आज की कहानी से आप जरूर प्रेरित होंगे तो चलिए दोस्तों आपका ज्यादा समय ना लेते हुए आज की inspire कहानी को शुरू करते है।
एक मकड़ी से सीख(Learn from a spider)
एक मकड़ी से सीख(Learn from a spider)

Motivational story in Hindi:- 
एक बार एक स्कूल में सायकल रेस प्रतियोगिता हो रही थी स्कूल में राजू नाम का एक लड़का था वह हर वर्ष उस प्रतियोगिता में भाग लेता और लगातार 3 वर्ष से राजू उस प्रतियोगिता को हार चूका था।

वह इस बात से बहुत परेशान था की वह एक बार भी उस रेस में जीत नहीं पाया है,वह प्रत्येक बार उस सायकल रेस में भाग लेता और प्रत्येक बार हार का सामना करना पड़ता।

 इसके बावजूद उसने एक बार फिर से उसने हिम्मत की और इस बार उस रेस में जीत का संकल्प लेके उसने चौथी बार उस सायकल रेस में भाग लिया उसने उस रेस के लिए बहुत तैयारी की थी लेकिन वह चौथी बार भी हार गया।

राजू इस हार के बाद काफी ज्यादा निराश हो गया था,और रेस के बाद उदाश चेहरा लेके अपने सायकल को लेकर वह अपने घर आ गया और घर के आगे एक पेड़ था,

 वही पर उस सायकल को अपने घर के बाहर में ही खड़ा करके उसके किनारे में बैठ कर सोचने लगा की चौथी बार भी हार गया क्या वह इस प्रतियोगिता को कभी जीत भी पाएगा कि नहीं राजू बुरी तरह से हतास हो गया था और दुःखी होकर रोने लगा।

ऐसी हतास होकर सोचते बैठे बैठे उसको उस पेड़ के निचे कब नींद लग गई उसको पता ही नहीं चला कुछ समय बाद उसकी नींद खुली तो उसने देखा एक मकड़ी उसके सायकल के रिंग में जाला बना रही है।

वह उस मकड़ी को बड़ी ध्यान से देख रहा था मकड़ी उस रिंग से बार बार गिरती लेकिन पुनः जाला बनाती हुई सायकल के रिंग पर चढ़ती इसी तरह वह कई बार निचे गिरती लेकिन हर बार नए जोश और उत्साह से जाला बनाती हुई पुनः चढ़ती।

राजू उस मकड़ी को बड़ी ध्यान से देख रहा था तभी थोड़ी देर बाद वहा उसके पापा आ गए राजू को इतना हतास दुःखी देख कर पूछा बेटा क्या हुआ ?

 राजू ने सभी बात अपने पापा को बताई फिर उसके पापा ने मकड़ी को देख कर राजू से कहा देखो बेटा - मकड़ी जैसा तुच्छ जीव भी बार बार निचे गिर कर हारकर निराश नहीं होती,

वह लगातार जाला बनाने का प्रयाश करती है और तब तक करती है जब तक वह पूरी तरह अपनी जाला बना ना ले।


प्रतियोगिता हारने को हार नहीं कहते,बल्कि हिम्मत हरने को हार कहते है,फिर राजू ने अपने पापा से कहा -पापा मै हर बार कोशिश करता हु जितने के लिए लेकिन हर बार मै हार ही जाता हु,

 मै जीत तक पहुंच ही नहीं पाता फिर उसके पापा ने कहा बेटा निराश मत हो साहस बटोरकर एक बार फिर से उस प्रतियोगिता में भाग लो।

राजू ने अपनी पापा की बात मान ली उसने फिर से कुछ समय बाद उस प्रतियोगिता में भाग लिया फिर राजू ने इस बार सायकल रेस की प्रतियोगिता में जीत गया।

फिर राजू को ये बात समझ में आई की लगातार प्रयाश करते रहने से कितना भी मुश्किल काम ही क्यों ना रहे उसमे सफलता प्राप्त की जा सकती है।

दोस्तों इस छोटी सी कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि असफलता पर निराश होकर कोशिश करना बंद करने के स्थान पर प्रयत्नशील होकर लगातार कोशिश करनी चाहिए इससे सफलता एक दिन अवश्य मिलती है।

उम्मीद करता हु दोस्तों ये कहानी आपको अच्छी लगी होगी आपको ये कहानी कैसी लगी comment करके बताये और share जरूर करें। 

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